व्यवसाय विचार

‘जैमिट’ का ‘आईस्किल’, कौशल विकास कर स्कूली छात्रों को भविष्य के लिए करेगा तैयार

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Sep 15, 2023 - 4 min read
‘जैमिट’ का ‘आईस्किल’, कौशल विकास कर स्कूली छात्रों को भविष्य के लिए करेगा तैयार image
‘जैमिट’ ने 60 से ज्यादा कौशल को ज्ञान के साथ मिलाकर एआई से तैयार ‘आईस्किल’ कार्यक्रम शुरू किया है, जो कम समय में ही स्कूली छात्रों को पाठ्यक्रम पूरा करने में मदद करेगा। साथ ही, उन्हें भविष्य के लिए जरूरी कौशल के साथ लैस भी करेगा।

विद्यालय पारिस्थितिकी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस हल प्रदान करने वाले ‘जैमिट’ ने ‘आई-स्किल’ नामक एक कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम 60 से ज्यादा कौशल को अपने अंदर समाहित किए हुए है, जिससे कम समय में ही छात्रों को यह, पाठ्यक्रम में मौजूद विषयों को आसानी से पूरा करने में मदद करता है। युवा छात्रों को कौशल विकास के जरिए यह पहले से ज्यादा सक्षम बनाता है। यह अंतर्राष्ट्रीय कौशल और ज्ञानवर्द्धक शिक्षण वाले ‘आई-स्किल कार्यक्रम’ का ‘मीजर-इंप्रूव-मॉनिटर’ यानी विकास को मापने का तरीका (एमआईएम) कॉन्सेप्ट पर आधारित एआई से चलने वाला मॉडल है। यह विषयों को समझने के साथ-साथ छात्रों के कौशल विकास में भी मददगार है।

यकीनन  सीखने का कौशल हर छात्र के लिए अच्छा प्रदर्शन करने का मूल मंत्र है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 द्वारा अनुशंसित कौशल और अंतर्राष्ट्रीय स्नातक के अंतर्गत आने वाले सीखने के कौशल, दोनों के बारे में बताता है। यह इंग्लैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड के रेगुलेटेड क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क में शामिल किया गया है और इसे क्यूएआई यूके द्वारा प्रमाणित भी किया गया है। यह कार्यक्रम कक्षा 5 से 10 के छात्रों के लिए 60 घंटे का उप-पाठ्यक्रम होगा। जबकि कक्षा 11 के छात्रों के लिए 130 घंटे का कार्यक्रम होगा। इसे विद्यालय के नियमों के अनुसार प्रयोग में लाना होगा। एमआईएम मॉडल के अनुसार तरक्की का दौर  (इंप्रूवमेंट फेज) में 35 मिनट का 26 प्रशिक्षकों वाला सेशन है, जिसमें समय-समय पर हर एक प्रतिभागी की रचनात्मक समीक्षा करने का प्रावधान है।

इंटर्नशिप के मौके, पांच लाख रुपये की वार्षिक छात्रवृत्ति

कार्यक्रम को स्कूल के साथ साझेदारी में ऑनलाइन और ब्लेंडेड फॉर्मेट, दोनों में पेश किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का चुनाव करने वालों को इंटर्नशिप के मौके, पांच लाख रुपये की वार्षिक छात्रवृत्ति में हिस्सा लेने का मौका, अकादमिक और गैर-अकादमिक उपलब्धियों के निजी ई-पोर्टफोलियो का निर्माण और देखभाल की सुविधा मिलेगी। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले छात्रों और स्कूलों के लिए, एक ओवरऑल इम्पैक्ट एनालिसिस रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसके अंतर्गत अन्य प्रतिभागियों के साथ तुलना कर उन्हें और बेहतर करने के लिए प्रेरित किया जाएगा और जरूरी सुधार भी। इसके अलावा प्रतिभागियों को वैश्विक अंग्रेजी जांच सेवा (ग्लोबल इंग्लिश टेस्टिंग सर्विसेज) द्वारा संचालित और क्यूएआई यूके द्वारा प्रमाणित अंतर्राष्ट्रीय अंग्रेजी दक्षता प्रमाण-पत्र (इंटरनेशनल इंग्लिश प्रोफिसिएन्सी सर्टिफिकेट) भी प्राप्त होगा।

छात्रों को पढ़ाने के तरीके में तेजी से बदलाव

जैमिट के निदेशक और संस्थापक आरुल मालवीय ने इस कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, “लगातार बढ़ती प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में कौशल और कौशल विकास अब केवल कॉलेज और यूनिवर्सिटी के छात्रों का मजबूत पक्ष नहीं रह गया है। विद्यालयों के छात्र भी अब कौशल और कौशल विकास से जुड़े ज्ञानवर्द्धन कर रहे हैं। तकनीक न केवल विद्यालय के छात्रों को पढ़ाने के तरीके में तेजी से बदलाव ला रही है, बल्कि भविष्य में बेहतर करियर निर्माण के लिए उन्हें अभी से सक्षम बना रही है। आज के स्कूली छात्र पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं,  जो हर काम को अंजाम तक पहुंचाने को लेकर प्रेरित हैं। स्कूल और लर्निंग कॉन्सेप्ट महत्वपूर्ण बदलावों से गुजर रहा है, जो काफी सराहनीय है। हम जानते हैं कि स्कूल और कार्यालय के बीच के अंतर को पाटने के लिए प्रयोग किए जाने वाले जरूरी कौशल और पारंपरिक रूप से पाठ्यक्रम में पढ़ाए जाने वाला कौशल समान नहीं है। आज के समय में छात्रों को कम उम्र में ही उनकी मजबूती और कमजोरियों की पहचान करने में मदद करना जरूरी हो गया है, ताकि वे अपनी कमजोरियों पर लगातार काम कर सकें और नए कौशल सीख सकें, ताकि जब वे स्कूली जीवन से बाहर जाएं तो 21वीं सदी के कौशल से लैस हों और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार भी।”

कौशल सीखने की क्षमता को तेज करना

मालवीय ने कहा, “इस विशेष कार्यक्रम के जरिए शिक्षा में सफल होने के लिए सबसे जरूरी  है, कौशल सीखने की क्षमता को तेज करना। हमारा उद्देश्य न केवल पाठ्यक्रम और उप-पाठ्यक्रम समेत अन्य अतिरिक्त क्रियाकलापों में छात्रों के प्रदर्शन में सुधार लाना है, बल्कि उन्हें जीवन में लंबे समय तक सीखने के लिए स्वयं निर्देशित (सेल्फ डायरेक्टेड) और स्मार्ट बनाना भी है। अंग्रेजी भाषा को भविष्य के कार्यालय की भाषा के रूप में और भी ज्यादा प्रमुखता मिल रही है। यही नहीं, ज्यादातर तकनीक आधारित नए-नए खोज भी अंग्रेजी भाषी दुनिया से आ रहे हैं इसलिए अंग्रेजी अब छात्रों के लिए भी जरूरी हो गई है। यह कार्यक्रम भारत के स्कूली छात्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूपरेखा (इंटरनेशनल प्रोफाइल) बनाने में बहुत ज्यादा लाभदायक होगा, क्योंकि इस कार्यक्रम में अंग्रेजी दक्षता (इंग्लिश प्रोफिसिएंसी) के वैश्विक मानदंड (ग्लोबल स्टैंडर्ड) पर ध्यान केंद्रित किया गया है।"

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