![भारत मोबिलीटी एक्सपो में दिखा टोयोटा का मल्टी-टेक्नोलॉजी पाथवे](https://franchiseindia.s3.ap-south-1.amazonaws.com/uploads/content/fi/int/679c778c64717.webp)
टोयोटा, जो दुनिया की अग्रणी ऑटोमोबाइल कंपनियों में से एक है, सस्टेनेबल मोबिलिटी की दिशा में लगातार नए इनोवेशन कर रही है। हाल ही में आयोजित एक ऑटो एक्सपो में कंपनी ने अपनी मल्टी-टेक्नोलॉजी पाथवे की झलक पेश की, जिसमें हाइब्रिड, प्लग-इन हाइब्रिड, फ्लेक्सी-फ्यूल और फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।
टोयोटा का लक्ष्य 2050 तक संपूर्ण जीवन-चक्र आधारित नेट-ज़ीरो कार्बन प्राप्त करना है, जिसमें न केवल वाहन उत्सर्जन बल्कि मैन्युफैक्चरिंग और संपूर्ण वैल्यू चेन से भी कार्बन को खत्म करने पर जोर दिया जा रहा है।
हमने टोयोटा के कंट्री हेड एवं एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट (कॉर्पोरेट अफेयर्स एंड गवर्नेंस), विक्रम गुलाटी से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने टोयोटा की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी रणनीति, भविष्य की योजनाओं और सरकार की ईवी नीतियों पर अपने विचार साझा किए। आइए जानते हैं कि टोयोटा भारत में ग्रीन मोबिलिटी को किस तरह नया आयाम देने की तैयारी में है।
भारत मोबिलीटी एक्सपो में कंपने ने कौन-कौन से ईवी कॉन्सेप्ट प्रदर्शित किए हैं?
विक्रम गुलाटी: इस एक्सपो में हमने एक बहुत ही अनूठा प्रदर्शन किया है, जिसे हम "मल्टी-टेक्नोलॉजी पाथवे" कहते हैं। यह एक ऐसी तकनीकी यात्रा है, जिसमें सभी ग्रीन मोबिलिटी तकनीकों को एक साथ दिखाया गया है।
हमारे पास बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEV) है, और उसके साथ-साथ हमने हाइब्रिड, प्लग-इन हाइब्रिड और एक बेहद खास नई तकनीक भी प्रदर्शित की है। यह एक फ्लेक्सी-फ्यूल प्लग-इन हाइब्रिड वाहन है, जो 100% एथेनॉल पर चल सकता है।
इसके अलावा, हमारे पास हाइड्रोजन कार का कॉन्सेप्ट भी है, जिसे फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (FCEV) कहा जाता है। हमारी टेक्नोलॉजी की यह रेंज स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड से लेकर बैटरी इलेक्ट्रिक तक फैली हुई है।
इस सेक्टर में भविष्य की क्या योजनाएँ हैं?
विक्रम गुलाटी: टोयोटा पूरी तरह से नेट-ज़ीरो कार्बन की ओर बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी 2050 तक लाइफ साइकिल आधारित नेट-ज़ीरो कार्बन की सोच सिर्फ टेलपाइप उत्सर्जन तक सीमित नहीं है, बल्कि हम इसे अपने उत्पादों, मैन्युफैक्चरिंग और पूरी वैल्यू चेन से खत्म करने पर काम कर रहे हैं। हम प्रत्येक देश के ऊर्जा मिश्रण (Energy Mix), बुनियादी ढांचे की तैयारियों (Infrastructure Readiness), और उपभोक्ता व्यवहार (Consumer Adoption) को ध्यान में रखते हैं।हम मानते हैं कि ग्रीन मोबिलिटी को अब तेजी और बड़े पैमाने पर अपनाना जरूरी है।
क्या आपको लगता है कि सरकारी नीतियाँ ईवी सेक्टर को बढ़ावा दे रही हैं?
विक्रम गुलाटी: सरकार की नीतियाँ ईवी इकोसिस्टम के विकास में बहुत अहम भूमिका निभा रही हैं, और हम इसके लिए सरकार के आभारी हैं।सरकार ने एक समग्र दृष्टिकोण (Holistic Approach) अपनाया है, जिसमें प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाओं के तहत वाहनों, ऑटो कंपोनेंट्स, उन्नत बैटरी टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।
इसके अलावा, डिमांड-साइड इंसेंटिव्स भी दिए गए हैं, जैसे पहले FAME योजना थी और अब eDrive योजना लागू की गई है। ईवी पर केवल 5% टैक्स भी एक बड़ा प्रोत्साहन है।अब सरकार एथेनॉल और अन्य ग्रीन एनर्जी विकल्पों को भी बढ़ावा दे रही है। एथेनॉल पूरी तरह से स्वदेशी ईंधन है, जिसे हमारे किसान तैयार करते हैं। इससे हमें विदेशी ईंधन और आयातित तकनीक पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
सरकार ने जल्द ही 20% एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने की योजना बनाई है और ऑटोमोबाइल कंपनियों को फ्लेक्सी-फ्यूल वाहनों को लाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।फ्लेक्सी-फ्यूल तकनीक बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि एथेनॉल के उत्पादन में उपयोग होने वाले पौधे वातावरण से कार्बन अवशोषित करते हैं। इस वजह से, हमारी प्लग-इन इलेक्ट्रिक फ्लेक्सी-फ्यूल कार की कार्बन फुटप्रिंट, बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (BEV) से भी कम है।
निष्कर्ष
टोयोटा मल्टी-टेक्नोलॉजी पाथवे के माध्यम से सस्टेनेबल मोबिलिटी को बढ़ावा दे रही है। कंपनी नेट-ज़ीरो कार्बन लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए हाइब्रिड, प्लग-इन हाइब्रिड, फ्लेक्सी-फ्यूल और फ्यूल-सेल इलेक्ट्रिक वाहनों पर काम कर रही है। साथ ही, सरकार की ग्रीन मोबिलिटी नीतियों और एथेनॉल आधारित वाहनों के लिए प्रोत्साहन से भारत में ईवी क्रांति को गति मिल रही है।