इलेक्ट्रिक वाहन

2030 तक हर साल 1.1 करोड़ ईवी सड़क पर लाने का लक्ष्य: MeitY

Nitika Ahluwalia
Nitika Ahluwalia Dec 27, 2024 - 3 min read
2030 तक हर साल 1.1 करोड़ ईवी सड़क पर लाने का लक्ष्य: MeitY image
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक में आयात निर्भरता को कम करने और "मेड इन इंडिया" सब-कॉम्पोनेंट्स को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। MeitY का लक्ष्य 35% बाजार हिस्सेदारी हासिल करना है।

 

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने और स्वदेशी तकनीक को प्रोत्साहित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) सक्रिय रूप से कार्यरत है। इस दिशा में सरकार की योजनाएं, अनुसंधान और विकास (R&D) के प्रयास, और "मेड इन इंडिया" उत्पादों को प्रोत्साहित करने की पहल महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

इस इंटरव्यू में MeitY की साइंटिस्ट-जी और ग्रुप कोऑर्डिनेटर,सुनिता वर्मा ने ईवी क्षेत्र में सरकार की प्रगति, मौजूदा चुनौतियों, और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने 2030 तक EV के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों, आत्मनिर्भरता के प्रयासों, और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए चल रहे R&D प्रोग्राम की विस्तृत जानकारी साझा की।

MeitY इलेक्ट्रिक वाहनों में कैसे प्रगति कर रहा है, और कौन-कौन से नए रिसर्च और इनोवेशन पर काम हो रहा है?

सुनिता वर्मा : ईवी  के क्षेत्र में यदि हम देखें, तो मोटर्स, कंट्रोलर्स, बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम, कन्वर्टर्स और चार्जर्स जैसे सिस्टम और सब-सिस्टम अभी भी आयात किए जा रहे हैं। हमारा मिशन है कि 2030 तक हर साल 1.1 करोड़ ईवी सड़क पर हों और मार्केट में 35% ईवी  अपनाया जाए। इसके लिए आयात पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा।

हमें आत्मनिर्भर बनना होगा। इसके लिए हमने ईवी  के सब-सिस्टम के विकास पर आधारित एक आरएंडडी (R&D) प्रोग्राम शुरू किया है। यह प्रोग्राम शैक्षणिक संस्थानों, R&D संगठनों, स्टार्टअप्स और इंडस्ट्री को सपोर्ट करता है। इसमें दोपहिया, तिपहिया, चौपहिया और भारी वाहनों के लिए सभी सब-सिस्टम को शामिल किया गया है।

हमारी योजना यह है कि अनुसंधान और विकास (R&D) संस्थान नए और इनोवेटिव आइडिया के साथ सब-सिस्टम बनाए। फिर इन्हें स्टार्टअप्स और इंडस्ट्री के साथ स्केल-अप किया जाए। इसके बाद OEM और वाहन निर्माता इन "मेड इन इंडिया" कॉम्पोनेंट्स को अपनाएं।

ईवी के R&D में कौन-कौन सी चुनौतियां सामने आईं, और उन्हें कैसे हल किया गया?

सुनिता वर्मा : सबसे पहले, बाजार में हमें लागत-प्रतिस्पर्धी होना जरूरी है, क्योंकि आयातित सिस्टम बहुत आक्रामक कीमतों पर उपलब्ध हैं। इसके लिए हमने "गैप फंडिंग" और इनोवेशन के साथ लागत को कम करने पर काम किया।

दूसरा, परीक्षण सुविधाओं (टेस्टिंग फैसिलिटी) की कमी एक चुनौती थी। अब सरकार ने अच्छी टेस्टिंग सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। तीसरा, सिस्टम का प्रोटोटाइप बनाना भी एक चुनौती थी। जब सिस्टम तैयार हो जाता है, तो उसे छोटे स्तर पर (5-15 यूनिट्स) प्रोटोटाइप के रूप में ट्रायल करना जरूरी होता है।

इसके अलावा, मानकों (स्टैंडर्ड्स) पर काम करने की बहुत आवश्यकता है। हम अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपनाते हैं, लेकिन हमारे इनोवेटिव समाधानों को भी वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलानी होगी।

2025 के लिए MeitY की क्या योजनाएं हैं?

सुनिता वर्मा: हमारी योजना है कि देश में अधिक से अधिक सब-कॉम्पोनेंट्स का निर्माण करें और उन्हें अपनाएं। अभी तक हमने दोपहिया, तिपहिया और ई-रिक्शा पर काम किया था। अब हमारा ध्यान चारपहिया और भारी वाहनों के सब-कॉम्पोनेंट्स पर है। हमारा उद्देश्य है कि जितना जल्दी हो सके, इन सब-कॉम्पोनेंट्स को बाजार में लाया जाए।

निष्कर्ष

MeitY का ध्यान EV सब-सिस्टम के "मेड इन इंडिया" निर्माण और उनकी वैश्विक मान्यता प्राप्त करने पर है। 2025 तक, MeitY का उद्देश्य दोपहिया, तिपहिया, चौपहिया और भारी वाहनों के लिए आत्मनिर्भर सब-कॉम्पोनेंट्स विकसित करना है। सुनिता वर्मा के अनुसार, भारत को ईवी तकनीक में वैश्विक मानकों तक पहुंचाने और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

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