कमर्शियल और उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने सरकार की फंड ऑफ फंड्स स्कीम (एफएफएस) से वित्त पोषित 75 वैकल्पिक निवेश निधियों (एआईएफ) के साथ बैठक आयोजित की। इस बैठक का उद्देश्य स्टार्टअप्स के लिए पूंजी जुटाने के प्रयासों पर चर्चा करना था, क्योंकि सरकार 2025 तक देश के हर जिले में एक जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम विकसित करने के साथ-साथ उनका ध्यान विनिर्माण पर केंद्रित करना चाहती है।
स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत 2016 में केवल 400 स्टार्टअप्स थे, जबकि अब उनकी संख्या 158,803 तक पहुंच गई है। अब सरकार चाहती है कि स्टार्टअप्स मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में अपना ध्यान केंद्रित करें। डीपीआईआईटी के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने कहा, "हम उत्पाद बनाने के लिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना चाहते हैं। यह मिशन है कि भारत को एक उत्पाद राष्ट्र बनाएं।"
संजिव सिंह, डीपीआईआईटी के संयुक्त सचिव ने कहा कि इस वर्ष हम विनिर्माण क्षेत्र के लिए इन्क्यूबेटर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। सरकार भारतीय स्टार्टअप्स को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने पर भी जोर दे रही है, ताकि वे वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी कर सकें और उनकी समस्याओं को हल कर सकें।
इस बैठक में फंड ऑफ फंड्स स्कीम के तहत कुछ प्रमुख एआईएफ के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अब तक इन स्कीम्स के माध्यम से 21,000 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। FFS का उद्देश्य वेंचर कैपिटल निवेश को बढ़ावा देना है और इसे भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) द्वारा संचालित किया जा रहा है, जो स्टार्टअप्स में निवेश करने के लिए SEBI-पंजीकृत AIFs को पूंजी प्रदान करता है।