
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि आने वाले छह महीनों में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और पेट्रोल कारों के बीच की कीमत का अंतर खत्म हो जाएगा। उन्होंने यह बात 32वें कन्वर्जेंस इंडिया और 10वें स्मार्ट सिटीज इंडिया एक्सपो में कहा।
वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल कारों की तुलना में महंगे हैं, जिसका मुख्य कारण उनकी बैटरियों की ऊंची लागत है। लिथियम-आयन बैटरियों की कीमत ईवी की कुल लागत का बड़ा हिस्सा होती है। इसके अलावा, बैटरी कंपोनेंट्स पर आयात शुल्क, घरेलू उत्पादन की सीमित क्षमता और कम उत्पादन मात्रा भी कीमत को बढ़ाते हैं।
गडकरी ने बताया कि जैसे-जैसे बैटरी टेक्नोलॉजी में सुधार होगा और घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ेगा, ईवी की कीमतें कम हो जाएंगी। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों को पेट्रोल कारों के बराबर किफायती बनाने में मदद मिलेगी।
भारत में EV बाजार लगातार बढ़ रहा है, हालांकि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, बैटरी की लंबी उम्र और रीसेल वैल्यू को लेकर अभी भी कुछ चिंताएं बनी हुई हैं। 2024 में EV बिक्री में 27% की बढ़ोतरी हुई और कुल 19.4 लाख यूनिट्स की बिक्री हुई। इसमें सबसे अधिक वृद्धि इलेक्ट्रिक दोपहिया (E2W) सेगमेंट में देखी गई। वहीं, इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों (Electric Passenger Vehicles) की बिक्री 20% बढ़कर लगभग 1 लाख यूनिट तक पहुंच गई।
टाटा मोटर्स ने 2024 में 61,496 इलेक्ट्रिक वाहन बेचे और बाजार में अपनी लीड बरकरार रखी। हालांकि, कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 2023 के 73% से घटकर 62% रह गई, क्योंकि अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियां भी ईवी सेगमेंट में तेजी से कदम बढ़ा रही हैं।अगर गडकरी का अनुमान सही साबित हुआ, तो आने वाले महीनों में सस्ते EV बाजार में क्रांति ला सकते हैं और स्वच्छ परिवहन को मुख्यधारा में लाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।