
दिल्ली सरकार ने राजधानी को स्वच्छ, हरित और टिकाऊ शहर बनाने के लिए एक व्यापक इलेक्ट्रिक वाहन (EV) चार्जिंग नेटवर्क तैयार करने की योजना का ऐलान किया है। इस योजना के तहत, हर पांच किलोमीटर की दूरी पर कम से कम एक सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया जाएगा, जिससे लोगों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन अपनाना और उपयोग करना आसान होगा।
दिल्ली EV नीति 2.0 के तहत सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक 3,500 चार्जिंग प्वाइंट्स लगाए जाएं और 2030 तक इनकी संख्या बढ़ाकर 13,700 कर दी जाए। इसके साथ ही, प्रत्येक एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कम से कम एक चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित किया जाएगा। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए दिल्ली परिवहन विभाग (Transport Department) प्रत्येक ज़ोन के लिए विस्तृत योजनाएं तैयार करेगा और फ्लाईओवरों के नीचे, पार्किंग स्थलों तथा टेलीकॉम टावरों के आसपास जैसे कम उपयोग वाले सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करेगा।
सरकार निजी और अर्ध-सरकारी स्थानों जैसे मॉल, ऑफिस, अस्पताल और सरकारी इमारतों में भी चार्जिंग स्टेशन लगाने को बढ़ावा देगी। इसके लिए आर्थिक सहायता के रूप में सब्सिडी प्रदान की जाएगी — पहले 15,000 धीमे AC चार्जरों के लिए प्रत्येक पर 50% या अधिकतम ₹2,500 तक की सब्सिडी मिलेगी, जबकि पहले 2,000 तेज़ DC चार्जरों के लिए ₹20,000 प्रति यूनिट सब्सिडी दी जाएगी।
यह नई योजना दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2020 की सफलता पर आधारित है। अब तक दिल्ली में 5,000 से अधिक EV चार्जिंग पॉइंट्स और 400 से अधिक बैटरी स्वैपिंग स्टेशन लगाए जा चुके हैं। इसके सकारात्मक नतीजे भी सामने आए हैं — 2024 में EV बिक्री में 2022 की तुलना में 30% की बढ़ोतरी हुई है और 82,000 से अधिक नए इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत किए गए हैं। आज दिल्ली में वाहन बिक्री में EV का हिस्सा 12% है, जो देश में सबसे अधिक है, और इसने भारत के औसत EV बिक्री प्रतिशत को 7.7% तक पहुंचाने में मदद की है।
दिल्ली सरकार सार्वजनिक परिवहन को भी हरित बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। नीति के मसौदे के अनुसार, 2026 तक इलेक्ट्रिक बसों को दिन के समय चार्ज करने में इस्तेमाल होने वाली आधी बिजली और रात में इस्तेमाल होने वाली एक चौथाई बिजली नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से आएगी। इसके अलावा, सभी बस डिपो की छतों पर सौर ऊर्जा पैनल लगाए जाएंगे ताकि वे अपनी खुद की बिजली पैदा कर सकें। बस ऑपरेटरों को एक-दूसरे के चार्जिंग सेटअप का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाएगी और उन्हें नॉन-पीक घंटों में बसों को चार्ज करना अनिवार्य किया जाएगा ताकि बिजली ग्रिड पर दबाव कम किया जा सके।