
भारत में रिसाइक्लर्स ने पिछले तीन वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) से 2,570.26 मीट्रिक टन लिथियम-आयन बैटरी वेस्ट एकत्र किया है। इस संबंध में जानकारी केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने गुरुवार को संसद में दी।
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी के एक प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने यह आंकड़े प्रस्तुत किए। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि EV से उत्पन्न कुल लिथियम-आयन बैटरी वेस्ट कितना है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने बताया कि देश में वर्ष 2021 से 2023 के बीच 49,88,672 मीट्रिक टन इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट उत्पन्न हुआ।
उन्होंने कहा कि बैटरियों के अनुचित निपटान से मिट्टी और जल प्रदूषण हो सकता है। वेस्ट बैटरियों के पर्यावरण-संवेदनशील प्रबंधन के लिए सरकार ने अगस्त 2022 में बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स (Battery Waste Management Rules) लागू किए हैं।
मंत्री ने बताया कि ये नियम सभी प्रकार की बैटरियों—EV बैटरियों, पोर्टेबल बैटरियों, ऑटोमोटिव बैटरियों और औद्योगिक बैटरियों—पर लागू होते हैं।
ये नियम विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी (EPR) सिद्धांत का पालन करते हैं, जिसके तहत बैटरी उत्पादकों, जिनमें आयातक भी शामिल हैं, को वेस्ट बैटरियों को एकत्र करने, पुनर्चक्रण रीसाइक्लिंग या पुनःनिर्माण करने की जिम्मेदारी दी गई है।
ईपीआर के तहत सभी वेस्ट बैटरियों को रिसाइकल्ड या पुनःनिर्मित किया जाना आवश्यक है। इनका लैंडफिल में निपटान या जलाने पर रोक लगाई गई है।
इसके अलावा, नियमों में उत्पादकों को नई बैटरियों के निर्माण में घरेलू रूप से रीसाइकिल्ड मैटिरियल का न्यूनतम प्रतिशत उपयोग करने की अनिवार्यता भी शामिल है।
मंत्री ने बताया कि सरकार ने एक केंद्रीकृत ऑनलाइन ईपीआर पोर्टल विकसित किया है, जहां उत्पादक, रिसाइक्लर और पुनःनिर्माणकर्ता पंजीकरण कर सकते हैं। यह पोर्टल ईपीआर प्रमाणपत्रों के आदान-प्रदान और उत्पादकों एवं रिसाइक्लर द्वारा रिटर्न दाखिल करने की सुविधा प्रदान करता है।