
भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में उच्च आयात शुल्क लंबे समय से विदेशी ओईएम कंपनियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत देश में कई विदेशी वाहन निर्माता कंपनियां आई हैं, लेकिन अब भी ऑटोमोबाइल के कई महत्वपूर्ण कंपोनेंट विदेशों से आयात किए जाते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में अपने संबोधन के दौरान बैटरी निर्माण में उपयोग होने वाले 35 महत्वपूर्ण तत्वों पर आयात शुल्क हटाने की घोषणा की। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब 2 अप्रैल से अमेरिका द्वारा संशोधित आयात शुल्क लागू किए जाने हैं।
अमेरिकी टैरिफ और भारत की रणनीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को ऑटो आयात पर 25% शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिससे वैश्विक सप्लाई चेन पर असर पड़ सकता है। भारतीय सरकार अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में जुटी है और 23 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी आयात पर शुल्क में कटौती करने की योजना बना रही है।
वहीं, 2024-25 के बजट में सरकार ने FAME योजना के तहत 2,671.33 करोड़ रुपये आवंटित किए थे और ईवी बैटरी निर्माण के लिए आवश्यक खनिजों पर कस्टम ड्यूटी में छूट देने की भी घोषणा की थी।
एवलॉन कंसल्टिंग के ईवी और ऑटो विशेषज्ञ शुभ्रब्रत सेनगुप्ता ने कहा, "अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ से संबंधित कुछ पहलू अभी स्पष्ट नहीं हैं। भारत के कुल ऑटो निर्यात का मूल्य 2.6 अरब डॉलर है, लेकिन किन विशेष HS कोड और कंपोनेंट्स पर शुल्क लगेगा, इसकी जानकारी अभी आनी बाकी है। विशेष रूप से गियरबॉक्स और एक्सल पर शुल्क लगने की संभावना है, लेकिन अन्य कंपोनेंट की स्थिति स्पष्ट नहीं है।"
इसके अलावा, भारतीय ऑटो कंपोनेंट कंपनियां जो अमेरिका में मौजूद हैं, वे स्थानीय स्तर पर उत्पादन कर सकती हैं ताकि टैरिफ का प्रभाव कम किया जा सके। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भारतीय कंपनियों के अन्य बाजारों, खासकर मैक्सिको में निर्यात पर भी असर पड़ सकता है।
सरकार की यह नई नीति ईवी निर्माण में आत्मनिर्भरता बढ़ाने और लागत को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।