
फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FKCCI) ने कर्नाटक सरकार को 2025-26 के लिए प्री-बजट ज्ञापन सौंपा है। संगठन ने एमएसएमई सेक्टर के लिए खास नीति, सस्ती जमीन, कर में छूट और नियमों को आसान बनाने की मांग की है।
फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FKCCI) का कहना है कि एमएसएमई सेक्टर में 99% हिस्सेदारी सूक्ष्म उद्यमों (Micro Enterprises) की है, जिनका वार्षिक टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से कम होता है, जबकि मध्यम उद्यमों (Medium Enterprises) का टर्नओवर 250 करोड़ रुपये तक होता है। इतनी बड़ी आर्थिक स्थिति को देखते हुए FKCCI ने एमएसएमई के लिए एक अलग नीति की मांग की है, ताकि छोटे उद्यमों को अधिक लाभ मिल सके।
एफकेसीसीआई (FKCCI) ने राज्य सरकार से एक नई खरीद नीति बनाने की अपील की है, जिसमें सरकारी विभागों और कंपनियों को स्थानीय MSMEs से ही सामान और सेवाएं खरीदने की अनिवार्यता हो। यह केंद्र सरकार की नीति के अनुरूप होगा, जिससे छोटे व्यवसायों को ज्यादा अवसर मिलेंगे।
एफकेसीसीआई ने प्लास्टिक पार्कों के विकास की मांग की है, जहां रीसाइक्लिंग यूनिट्स लगाई जा सकें। हालांकि, कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरियाज डेवलपमेंट बोर्ड (KIADB) ने पहले इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, लेकिन FKCCI ने इस योजना को जल्द लागू करने की अपील की है।
इसके अलावा, KIADB और कर्नाटक राज्य लघु उद्योग विकास निगम (KSSIDC) से एमएसएमई को सस्ती जमीन उपलब्ध कराने की मांग की गई है। FKCCI का कहना है कि KIADB की औद्योगिक जमीनें छोटे और मध्यम कारोबारियों के लिए बहुत महंगी हैं, जिससे वे बैंक लोन भी नहीं ले पाते। संगठन ने सुझाव दिया कि 30% औद्योगिक जमीन सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए आरक्षित हो, जबकि 80% औद्योगिक क्षेत्र का विकास बड़े उद्यमों के लिए किया जाए।
फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एफकेसीसीआई) ने एमएसएमई को 9% बिजली कर से छूट देने की मांग की है, जिससे उनके उत्पादन लागत में कमी आएगी। साथ ही, 0.6% एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) कर को और कम करने और एपीएमसी यार्डों को आधुनिक बनाने की भी अपील की गई है।
एफकेसीसीआई ने सरकार से पुराने और जटिल कानूनों को हटाकर नियमों को सरल बनाने का आग्रह किया है। संगठन का कहना है कि छोटे उद्योगों पर अनावश्यक नियमों का भारी बोझ है, जिससे उनका कामकाज प्रभावित होता है।
कर्नाटक सरकार जल्द ही 2025-26 का राज्य बजट पेश करेगी। माना जा रहा है कि एफकेसीसीआई (FKCCI) की इन मांगों पर विचार किया जाएगा और सरकार MSMEs को बढ़ावा देने के लिए कुछ अहम घोषणाएं कर सकती है।