
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सेक्टर की अग्रणी कंपनी ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक लिमिटेड को एक बड़ी सफलता मिली है। कंपनी को हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एचआरटीसी) से 297 इलेक्ट्रिक बसों की सप्लाई और मेंटेनेंस का ऑर्डर मिला है, जिसकी कुल लागत लगभग 424.01 करोड़ रुपये है।
यह ऑर्डर एक घरेलू एजेंसी द्वारा दिया गया है और इसे ओलेक्ट्रा की भारत में सार्वजनिक परिवहन के विद्युतीकरण की दिशा में एक और मजबूत कदम माना जा रहा है। यह बसें आउटराइट सेल बेसिस पर दी जाएंगी और उनका मेंटेनेंस भी ओलेक्ट्रा ही करेगी, जिससे एचआरटीसी को एक कम्प्रीहेंसिव सर्विस पैकेज मिलेगा।
कंपनी के अनुसार, LOA (लेटर ऑफ अवॉर्ड) मिलने की तारीख से 11 महीने में यह ऑर्डर पूरा किया जाएगा, जिससे अगले साल तक हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर ये बसें दौड़ती नजर आएंगी। यह कदम खास तौर पर पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील राज्यों में टिकाऊ और ईको-फ्रेंडली पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के भारत सरकार के मिशन के अनुरूप है।
बीएसई लिमिटेड और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को दी गई औपचारिक जानकारी में ओलेक्ट्रा ने स्पष्ट किया है कि इस डील में कंपनी के प्रमोटर्स या किसी ग्रुप कंपनी की एचआरटीसी में कोई हिस्सेदारी नहीं है और यह लेनदेन रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन की श्रेणी में नहीं आता।
यह ऑर्डर न केवल ओलेक्ट्रा की ईवी पब्लिक ट्रांसपोर्ट स्पेस में स्थिति को और मजबूत करता है, बल्कि भारत के कार्बन उत्सर्जन में कटौती और स्वच्छ शहरी परिवहन के राष्ट्रीय लक्ष्य में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
भारत की इलेक्ट्रिक वाहन नीति का उद्देश्य तेल आयात पर निर्भरता कम करना, कार्बन उत्सर्जन घटाना और सस्टेनेबल मोबिलिटी को बढ़ावा देना है। इसके तहत FAME (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles) योजना – जो अब अपने दूसरे चरण (FAME II) में है – इलेक्ट्रिक बसों और ई-रिक्शा जैसे सार्वजनिक परिवहन साधनों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है। साथ ही, PLI (Production Linked Incentive) योजना घरेलू EV निर्माण और बैटरी उत्पादन को सपोर्ट देती है।
देशभर में राज्य सरकारें और नगर निगम इलेक्ट्रिक बसों को तेजी से अपना रहे हैं। दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों में बड़े पैमाने पर ई-बसों के लिए टेंडर जारी किए गए हैं। ई-बसे डीजल वाहनों की तुलना में स्वच्छ, कुशल और कम खर्चीली होती हैं। बैटरी की कीमतों में गिरावट, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार और अनुकूल सरकारी नीतियों के कारण ई-बसे अब मुख्यधारा में आ रही हैं।
भारत का लक्ष्य दशक के अंत तक सार्वजनिक परिवहन का बड़ा हिस्सा विद्युतीकृत करना है – और ओलेक्ट्रा की यह डील उसी दिशा में एक मजबूत कदम है।