
उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को दिए जाने वाले लोन में अगले वित्तीय वर्ष (2025-26) में 52% की बढ़ोतरी का अनुमान है। यह ₹2.92 लाख करोड़ (FY25) से बढ़कर ₹4.46 लाख करोड़ (FY26) तक पहुंच सकता है।
उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के अनुसार, कृषि और MSME जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सुगम ऋण प्रवाह और राज्य सरकार के $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं।
नाबार्ड द्वारा तैयार की गई ‘UP स्टेट फोकस पेपर’ रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में FY26 के लिए कुल ₹7.69 लाख करोड़ की लोन संभावना आंकी गई है, जो FY25 के ₹5.73 लाख करोड़ की तुलना में ₹1.96 लाख करोड़ (34%) अधिक है।
कृषि क्षेत्र के लिए ऋण संभावना FY26 में ₹2.77 लाख करोड़ आंकी गई है, जो FY25 के ₹2.46 लाख करोड़ से अधिक है।अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए ₹46,000 करोड़ की ऋण संभावना है, जिसमें ₹21,000 करोड़ हाउसिंग लोन और ₹6,000 करोड़ एक्सपोर्ट क्रेडिट शामिल हैं।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, "उत्तर प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, बिजनेस को आसान बनाने और कानून-व्यवस्था में सुधार पर ध्यान दिया जा रहा है।"
UP ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के बाद राज्य में ₹10 लाख करोड़ के 14,000 से अधिक प्रोजेक्ट्स लागू किए गए हैं, जबकि ₹6 लाख करोड़ के अतिरिक्त प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं।
हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम समिट (दावोस) में यूपी सरकार ने ₹19,000 करोड़ के MoU पर हस्ताक्षर किए, जिससे राज्य में एमएसएमई विकास की संभावनाएं और मजबूत हुई हैं।
राज्य सरकार ने बैंकों से कृषि, फार्म मैकेनाइजेशन, मत्स्य पालन, पशुपालन, भंडारण और विपणन यार्ड जैसे क्षेत्रों में बढ़ती लोन संभावनाओं को पहचानने और क्रेडिट सुविधाओं को सुगम बनाने का अनुरोध किया है।
इसके अलावा, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड में क्रेडिट-डिपॉजिट (CD) अनुपात सुधारने के लिए भी कदम उठाने को कहा गया है। सरकार ने मार्च 2025 तक CD अनुपात 65% तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।