
एप्सिलॉन ग्रुप ने कर्नाटक सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया हैं, जिसके तहत कंपनी राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरी मटेरियल और परीक्षण सुविधाओं के निर्माण में 15,350 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। यह निवेश अगले 10 वर्षों में किया जाएगा।
इस परियोजना के तहत 9,000 करोड़ रुपये ग्रेफाइट एनोड प्लांट के लिए, 6,000 करोड़ रुपये लिथियम आयरन फॉस्फेट (LFP) कैथोड फैसिलिटी के लिए और 350 करोड़ रुपये रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) पर खर्च किए जाएंगे। इससे राज्य में 2,000 से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियों के अवसर सृजित होंगे और भारत की बैटरी मैटीरियल के आयात पर निर्भरता कम होगी।
एप्सिलॉन ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम हांडा ने कहा कि यह निवेश भारत को उन्नत बैटरी मैटिरियल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कंपनी का कहना है कि वह एनोड मैटिरियल में 100% और कैथोड मटेरियल में 60% तक घरेलू मूल्य संवर्धन (डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन )हासिल कर सकती है।
कर्नाटक सरकार इस परियोजना के लिए आवश्यक अवसंरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) और मंजूरी प्रदान करेगी। यह निवेश ऐसे समय में आया है जब भारत अपनी ईवी सप्लाई चेन को घरेलू स्तर पर विकसित करने की कोशिश कर रही है। वर्तमान में, भारत अपने अधिकांश बैटरी मटेरियल विशेष रूप से चीन से आयात करता है। सरकार ने ईवी कंपोनेंट और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम भी शुरू की है।
भारत में ईवी बाजार तेजी से बढ़ रहा है, वर्ष 2023 में बिक्री तीन गुना बढ़ी थी। हालांकि, उद्योग को बैटरी मैटीरियल की स्थिर आपूर्ति बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के अनुसार, भारत की ईवी बैटरियों की मांग 2026 तक 60 GWh तक पहुंच सकती है।
एप्सिलॉन ग्रुप कार्बन ब्लैक निर्माण के लिए जाना जाता है, अपनी सहायक कंपनियों एप्सिलॉन एडवांस्ड मैटीरियल्स और एप्सिलॉन CAM के माध्यम से बैटरी मैटीरियल्स क्षेत्र में विस्तार कर रहा है। कर्नाटक में बनने वाली नई सुविधाओं में बैटरी मैटीरियल परीक्षण और विकास के लिए एक अनुसंधान केंद्र (R&D सेंटर) भी शामिल होगा।
वैश्विक बैटरी मैटीरियल बाजार के 2027 तक $89.5 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है, जिसे ईवी की बढ़ती मांग से बढ़ावा मिलेगा। भारत 2030 तक 30% वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, जिसके लिए बैटरी मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन में बड़े निवेश की जरूरत होगी।