भारत में सार्वजनिक और निजी बैंकों की मौजूदगी के बावजूद, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को फंडिंग के लिए अब भी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उच्च ब्याज दरें और सीमित पूंजी उपलब्धता जैसे प्रमुख अवरोध एमएसएमई के विकास में बाधा डाल रहे हैं। यह बात श्रीराम ग्रुप की मैनेजिंग डायरेक्टर सुभास्री श्रीराम ने दक्षिण भारत वाणिज्य और उद्योग मंडल (SICCI) द्वारा आयोजित चेन्नई आर्थिक शिखर सम्मेलन 2025 में कही।
सुभास्री श्रीराम ने पारंपरिक बैंकिंग मॉडल को पुनर्जीवित करने और स्थानीय, समुदाय-केंद्रित वित्तीय सेवाओं की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जापान और चीन के सफल वित्तीय मॉडलों का उदाहरण देते हुए बताया कि जापान का समुदाय-केंद्रित बैंकिंग सिस्टम और चीन का मजबूत वित्तीय ढांचा छोटे उद्योगों को आवश्यक सहायता प्रदान करने में कारगर है।
उन्होंने MSME वर्गीकरण में संशोधन की भी मांग की, ताकि आधुनिक व्यवसायों की जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके और वित्तीय संसाधनों तक पहुंच आसान हो। इसके साथ ही SICCI के ज्ञान रिपोर्ट को भी प्रस्तुत किया, जिसमें आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक सिफारिशें दी गई हैं।
एसआईसीसीआई (SICCI) के प्रेसिडंट वी.एन. शिवा शंकर ने तमिलनाडु के 2030 तक $1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कमजोर उपभोक्ता मांग, 15.79% युवा बेरोजगारी और धीमी ग्रामीण सुधार जैसी चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सम्मेलन में कई प्रभावशाली वक्ताओं ने हिस्सा लिया, जिनमें गोपालकृष्णन बालासुब्रमणियन (सीईओ, XeedQ), लक्ष्मी वैदीस्वरन (सीईओ, वॉलमार्ट सेंटर ऑफ टेक एक्सीलेंस, IITM), गोपी कोटीश्वरन (संस्थापक, Dzruptiv AI), सुधा मेयप्पन (एवीपी, auctusESG LLP), विवियन मैसोट (एमडी, TAC Economics), और नवीन कोलाथुर (सीओओ, Driver Logistics) शामिल थे।
सम्मेलन में भारत की आर्थिक वृद्धि को गति देने और एमएसएमई को प्रौद्योगिकी और कौशल विकास के माध्यम से सशक्त बनाने पर जोर दिया गया। चर्चा के मुख्य बिंदुओं में AI, IoT, और रोबोटिक्स के एमएसएमई परिचालन में एकीकरण और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल का निर्माण शामिल था।